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उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

देहरादून। शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया है। प्रधानाचार्य कौस्तुभचंद्र जोशी और प्रवक्ता प्रदीप नेगी को आज राष्ट्रपति मुर्मु ने दिल्ली में सम्मानित किया गया है। जानकारी के अनुसार इस साल देशभर से 46 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बताया जा रहा है कि प्रत्येक शिक्षक को पुरस्कार में योग्यता प्रमाण पत्र, 50, 000 रुपये और एक सिल्वर मेडल प्रदान किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले 46 शिक्षकों में से दो शिक्षकों, एक उत्तराखंड से और दूसरा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से, विकलांग शिक्षकों के लिए विशेष श्रेणी के तहत सम्मानित किया।
बता दें कि उत्तराखंड से तीन शिक्षकों का नाम राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भेजा गया था। जिसमें नैनीताल में प्रताप पुरचकालुआ स्थित एसडीएस राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य कौस्तुभचंद्र जोशी और हरिद्वार में बीएचईएल इंटर कालेज में प्रवक्ता पद पर कार्यरत शिक्षक प्रदीप नेगी का चयन हुआ है। जोशी को ओपन केटेगरी में चुना गया है। जबकि नेगी स्पेशल कैटेगरी (दिव्यांग) के तहत पुरस्कार के लिए पात्र पाए गए। दोनो शिक्षक राष्ट्रीय आईसीटी पुरस्कार से भी सम्मानित हैं। प्रधानाचार्य जोशी ने अपने सेवाकाल में शिक्षा से जुड़े इंटरनेट कंटेट की मदद से छात्रों के शिक्षण को सरल करने का प्रयास किया। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रयोग कर छात्रों केा जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया है। तो वहीं शिक्षक प्रदीप नेगी को शिक्षण में नवाचार के लिए जाना जाता है।

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उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में आपका स्वागत देहरादून, आजखबर। फूलों की घाटी ट्रेक के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कोविड के कारण, इतिहास में पहली बार हुआ है कि यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जून के महीने में अपने सामान्य समय के विपरीत अगस्त के महीने में पर्यटकों के लिए खोला गया है। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) सभी पर्यटकों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। फूलों की घाटी को फिर से खोलने पर अपने विचार साझा करते हुए, सचिव पर्यटन, दिलीप जावलकर, कहते हैं, भारत में “फूलों की घाटी विदेशी पर्यटकों के ट्रेक के लिए स्विट्जरलैंड के विश्व-प्रसिद्ध ट्यूलिप मीडोज से कम नहीं है। चल रही महामारी के बीच, सभी सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए, 1 अगस्त से पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खोल दिया गया है। पिछले वर्ष के बात करें तो, लगभग 15000 पर्यटकों ने घाटी का दौरा किया और इस वर्ष, अगस्त के महीने से अब तक 700 पर्यटक फूलों की घाटी में आ चुके हैं। इस वर्ष पर्यटकों के लिए घाटी कब बंद होगी, इस बारे में कोई अस्थायी तारीख नहीं है, लेकिन यह अक्टूबर के अंत तक पर्यटकों के लिए खुला रहेगा। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा, ‘‘कोविड 19 अनलाॅक 4 के सम्बंध में किये गये यह नए संशोधन उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों एवं पर्यटन उद्योग से जुडे लोगों के लिये एक बहुत बड़ी राहत हैं। राज्य सरकार द्वारा पर्यटकों के लिए कोविड जांच की निगेटिव रिपोर्ट और होटल व होम स्टे में दो दिन ठहरने की बुकिंग का प्रतिबंध हटाने के आदेश जारी किए है, 23 सितंबर से लागू हो गयी हैं। मुझे यकीन है कि राज्य पर्यटन से जुड़े हमारे साथी इस कदम का स्वागत करेंगे और नियमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए हमारा पूरा साथ देंगे, जिससे राज्य में महामारी को नियंत्रित करने के साथ-साथ पर्यटन उद्योग को भी जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में वापस लाया जा सके।”चमोली जिले में स्थित, फूलों की घाटी बहुत शानदार रूप से पर्वत श्रृंखलाओं और रमणीक ग्लेशियरों से घिरी हुई है जहां औषधियों, वनस्पतियों और जीव जन्तुओं के कारण आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इन्सानों से दूर यह स्वर्ग की भूमि शीतकालीन में चारों ओर बर्फ से ढकी रहती है और ग्रीष्मकालीन के आगमन पर पूरी घाटी सुन्दर व मनमोहक लगती है। जब बरसात का मौसम शुरू होता है, तो घाटी अपने फूलों के मुखौटे को चित्रित करती है और पूरी जगह एक रंगीन पैलेट की तरह चमकती है। यह दिव्य स्थान कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय जीवों का घर भी है। यहां लाइम बटरफ्लाई, हिमालयन ब्लैक बियर, हिमालयन वेसल, एशियाटिक ब्लैक डीयर, स्नो लेपर्ड, मस्क डीयर, रेड फॉक्स जैसे वन्यजीव रहते हैं। फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों के लिए गोविंद घाट तक मोटर मार्ग की सुविधा है। जो टेªक का शुरूआती बिन्दु है गोविंद घाट से 16 किलोमीटर का टेªक शुरू होता है। गोविंद घाट मोटर मार्गों के माध्यम से उत्तराखण्ड के प्रमुख स्थानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। गोविंद घाट का निकतम हवाई अड्डा देहरादून जाॅली ग्रांट हवाई अड्डा है जिसकी दूरी 292 किलोमीटर है वहीं निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है जिसकी दूरी 273 किलोमीटर है। आवास सुविधाओं के लिए पर्यटक फूलों की घाटी के बेस कैंप घांघरिया में स्थित कई होटल, गेस्टहाउस, होमस्टे और कैंप की बुकिंग करा सकते हैं। उदाहरण के लिए, घांघरिया में जीएमवीएम टूरिस्ट रेस्ट हाउस एक अच्छा और सुविधाजनक आवास विकल्प है, जो की फूलों की घाटी के करीब स्थित है। यूटीडीबी पर्यटक को इस साल फूलों की घाटी की यात्रा करने लिए इन पांच मुख्य खासियतों पर ध्यान आकर्षित कराना चाहता है।

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