-राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में धर्माचार्यों का अहम योगदान
हरिद्वार। महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज ने कहा है। कि देश को उन्नति की ओर अग्रसर करने और राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए सभी धर्म संप्रदाय के धर्माचार्याे को एक मंच पर आकर समाज में सद्भाव का वातावरण बनाना होगा। तभी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। वर्तमान में युवा पीढ़ी पर हावी पाश्चात्य् संस्कृति को रोकने एवं धर्म के विरुद्ध षड्यंत्रकारी ताकतों का दमन करने के लिए एकजुट होकर सभी को करारा जवाब देना होगा। भारत माता पुरम स्थित एकादश रूद्रपीठ आश्रम में धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन पर आयोजित कार्यक्रम में चर्चा के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि धर्म एवं सुसंस्कारों का संचार व्यक्ति के भीतर मां-बाप के द्वारा सर्वप्रथम किया जाता है। हमें आवश्यकता है कि प्रत्येक परिवार को अपने बच्चों के भीतर धार्मिक विचारों को उत्पन्न करना चाहिए और उन पर पाश्चात्य संस्कृति हावी ना हो इसके लिए उन्हें अपने धर्म व संस्कृति का बोध कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा हरिद्वार की पावन छटा सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है और यहां का पौराणिक महत्व सभी के जीवन में बदलाव लाता है। संत महापुरुषों द्वारा दिया गया ज्ञान सभी को आत्मसात कर अपने जीवन को सतकर्मों की ओर अग्रसर करना चाहिए। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही हम परमात्मा की प्राप्ति कर सकते हैं। स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि परमात्मा इस धरती के कण-कण में विराजमान है परंतु व्यक्ति को उसका बोध नहीं होता जो व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह पर नियंत्रण कर लेता है। वह परमात्मा के नजदीक पहुंचता है। हम सभी को हरिद्वार आकर पतित पावनी मां गंगा की स्वच्छता अविरलता की शपथ लेनी चाहिए। साथ ही औरों को भी इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्होंने देश के सभी धर्माचार्यों से अपील करते हुए कहा कि आपसी समन्वय बना कर सभी को एक मंच पर आना होगा। तभी भारत में फिर एक बार रामराज्य की कल्पना की जा सकती है और भारत विश्व गुरु बनने की ओर एक बार पुनः अग्रसर होगा।