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सात दिवसीय शिव कथा के उपरांत हवन यज्ञ का आयोजन

देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा देहरादून की शाखा, 70 इंदिरा गांधी मार्ग, (सत्यशील गैस गोदाम के सामने) निरंजनपुर के द्वारा चल रही सात दिवसीय श्री शिव कथा ज्ञान यज्ञ के भावी आयोजन का भावपूर्ण समापन हुआ कथा के अंतिम दिवस में सुनील उनियाल गामा (मेयर, देहरादून), राष्ट्रीय बाल संत साहिल जी महाराज (सलाहकार महिला, दलित, आदिवासी कल्याण समिति, पीठाधीश्वर, जय श्रीराम ट्रस्ट एवं प्रदेश संरक्षक, नव्या भारत फाऊंडेशन कश्मीर),रमेश चंद्र गढ़िया (राज्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार), मधु भट्ट (राज्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार), विनोद चमोली (विधायक, धर्मपुर विधानसभा),बृजभूषण गैरोला (विधायक डोईवाला), रमेश कुमार (मंगू) पार्षद सुभाष नगर देहरादून, सतीश कश्यप (पार्षद ब्रह्मपुरी) आशा नौटियाल (प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा भाजपा)  उपस्थित रहें।
आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती जी ने कथा का वाचन किया। भगवान शिव सृष्टि के कण-कण में स्पंदनशील है। भगवान शिव की वैश्विक उपस्थिति भारत के कोने कोने में पाए जाने वाले ज्योतिर्लिंगों से स्पष्ट होती है।
भारती ने प्रभु श्री शिव की महिमा का रसास्वादन करवाया। भगवान शिव का जीवन चरित्र आज मानव समाज के लिए एक प्रेरणा स्तंभ है। प्रभु की पावन कथा रूपी गंगा में जिस समय एक व्यक्ति आकर गोता लगाता है तो अपने कर्म संस्कारों की कालिमा से स्वयं को पवित्र बना लेता है।
माता पार्वती जन्म उत्सव को बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। महाराज हिमवान व महारानी मैना ने आदिशक्ति जगदंबिका की आराधना कर उन्हें पुत्री स्वरूप में पाने का वरदान मांगा। माता सती जो पूर्व जन्म में देह त्याग से पहले के भगवान शिव से यह प्रार्थना करती हैं कि मैं अगले जन्म आपकी ही सेविका बनकर जन्म हूं। चतुर्थ दिवस में भारती ने भगवान शिव के अद्भुत स्वरूप का वर्णन किया। भगवान शिव का अद्भुत सिंगार हमें अध्यात्म जगत की ओर इंगित करता है। शिव कथा अमृत आयोजन के पंचम दिवस भारती ने महापार्थिवेश्वर हिमालयराज की शक्ति स्वरूपा पुत्री पार्वती जी का भगवान शिव  के संग विवाह प्रसंग प्रस्तुत किया। भगवान शिव व माता पार्वती के विवाह के पश्चात उनके पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। जिसने ब्रह्म देव से वरदान प्राप्त कर रखा था यदि मेरी मृत्यु हो तो शिवपुत्र के हाथों। ताड़कासुर का वध में समस्त देवों ने कुमार का सहयोग किया। भारती ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति गाथा को समस्त श्रद्धालु गणों के समक्ष रखा अवंतिका नगरी में पेट प्रिय ब्राह्मण की भक्ति को खंडित करने के लिए जिसमें दूषण राक्षस ने आक्रमण किया भगवान भोलेनाथ महाकाल के स्वरूप में प्रकट होकर दूषण का वध करे भक्त वेद प्रिय ब्राह्मण की रक्षा करते हैं।

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