उत्तराखण्ड

बैकफुट पर आई सरकार, निर्वाचन आयोग से लेकर हाईकोर्ट तक में फजीहत

देहरादून। प्रदेश में निकाय चुनाव के मामले में निर्वाचन आयोग एवं हाईकोर्ट में सरकार की खासी फजीहत हुई है। मामले को संभालने की कोशिश करते हुए शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने एक सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम सौंपने की घोषणा की है।
मेडीकल फीस मामले में हाल ही में सरकार को खासी किरकिरी झेलनी पड़ी थी परन्तु इससे सरकारी तंत्र ने कोई सबक नहीं सीखा और अब निकाय चुनाव के मामले में खासी फजीहत करा डाली। राज्य निर्वाचन आयुक्त की आज चार अप्रैल की प्रेस वार्ता होने से पूर्व यह कयास लगाये जा रहे थे कि संभवतया नगर निकाय के चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जायेगा, परन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्धन ने राज्य सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए यहां तक कह डाला कि सरकार समय पर चुनाव कराने की कोशिश ही नहीं कर रही है। चुनाव आयोग द्वारा मांगे गये 17 करोड़ की धनराशि में एक भी रूपया अब तक नहीं दिया गया है। आयुक्त महोदय ने कहा कि मई के प्रथम सप्ताह में हर हाल में नयी पालिकाओं का गठन होना है परन्तु सरकार ने अभी तक न तो परिसीमन को अन्तिम रूप दिया है और न ही आरक्षण का निर्धारण किया है। ऐसे में समय पर चुनाव करा पाना संभव नहीं है।
वहीं दूसरी ओर इस मामले में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने चुनाव आयोग द्वारा उठाये गये सभी बिन्दुओं पर सरकार से एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश देते हुए 11 अप्रैल की तिथि सुनवाई के लिये तय की गई है।
सचिवालय स्थित मीडिया सेन्टर में पत्रकारों से बात करते हुए शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने सरकार का पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा समय पर निकाय चुनाव कराने की है। एक सप्ताह में प्रक्रिया पूर्ण कर चुनाव कार्यक्रम को राज्य निर्वाचन आयोग और उच्च न्यायालय को सौंप दिया जायेगा।

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