उत्तराखण्ड राजनीतिक

चुनाव को देखते लोकलुभावन रहेगा उत्तराखंड सरकार का आगामी बजट

देहरादून। किसानों और महिलाओं को ब्याजमुक्त कर्ज, कारोबारियों को वैट व जीएसटी मामलों के निपटारे में रियायत, युवाओं के लिए नए रोजगार पैदा करने समेत मंत्रिमंडल के तमाम हालिया फैसले गवाही दे रहे हैं कि राज्य के अगले वित्तीय वर्ष का बजट खासा लोक-लुभावन रहने जा रहा है। मकसद साफ है लोकसभा के चुनाव। नए बजट में राज्य में मतदाताओं के हर वर्ग को नई घोषणाओं के जरिये गुलाबी अहसास कराने की तैयारी है।

वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट आकार 50 हजार करोड़ के इर्द-गिर्द रहने जा रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा और प्रदेश सरकार के लिए वर्ष 2019 अहम हो चला है। मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव और फिर 2017 में विधानसभा चुनाव ही नहीं जीता, बल्कि कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर सूपड़ा साफ कर दिया।

वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में राज्य की पांचों संसदीय सीट हासिल करने में भाजपा कामयाब रही थी। अब भाजपा सरकार पर इस प्रदर्शन को दोहराने का दबाव तारी है। लिहाजा मतदाताओं के हर तबके को लुभाने पर जोर है। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले हो रहे बजट सत्र में त्रिवेंद्र रावत सरकार इसी कसरत में जुटी है।

विधानसभा का बजट सत्र 11 फरवरी से प्रस्तावित है। इससे पहले हुई मंत्रिमंडल की दौ बैठकों में सरकार ने हर तबके को ध्यान में रखकर बजट प्रावधान को तरजीह दी है। गरीब सवर्णो के लिए 10 फीसद आरक्षण अध्यादेश के जरिये लागू करने के साथ ही समूह-ग की बंद पड़ी भर्तियां भी खुलने जा रही हैं।

हाईकोर्ट के इन भर्तियों में सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण की शर्त निरस्त करने के आदेश के बाद समूह-ग की भर्ती प्रक्रिया बंद हो गई थी। अब सरकार ने समूह-ग की भर्तियों में स्थायी निवासियों को ही आवेदन करने का प्रावधान कर राज्य के युवाओं में गहरा रहे असंतोष को दूर करने की कोशिश की है। इसके साथ ही भर्ती प्रक्रिया जल्द खुलना तय हो गया है।

इसी तरह उत्तराखंड युवा पेशेवर नीति-2019 और अंत:शिक्षुता (इंटर्नशिप) नीति-2019 को मंजूरी दे दी गई है। इस कार्ययोजना पर सरकार ने कदम बढ़ाए तो केंद्र की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी कौशल विकास योजना में राज्य सरकार कुलांचे भर सकती है। एक लाख युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार दिलाने की दिशा में यह अहम कदम साबित हो सकता है। सहकारी क्षेत्र में रोजगार के सैकड़ों अवसर की संभावना बनी है।

किसानों और महिलाओं को बगैर ब्याज के ऋण देने के फैसले को जमीन पर उतारने के लिए नए बजट में प्रावधान नजर आएगा। किसानों को दोहरी खुशी मिली है। कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के भत्तों का तोहफा सरकार दे चुकी है। इसे लेकर कर्मचारियों की नाराजगी को भी दूर किया गया है।

अलबत्ता, इससे बजट में वेतन-भत्ते-पेंशन की मार पड़ना तय है। वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट आकार 45585.09 करोड़ था। वहीं अगले वित्तीय वर्ष के लिए यह बजट आकार 50 हजार करोड़ को भी पार कर सकता है।

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