ऋषिकेश। गढ़वाल मंडल व चारधाम यात्रा के प्रवेश द्वार सहित वर्ष भर पर्यटकों व तीर्थयात्रियों की आमद से गुलजार रहने वाली तीर्थनगरी का अहम राजकीय चिकित्सालय चिकित्सकों की कमी के चलते खुद ही बीमार है। मरहम की आस में इस चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल रहा है। 25 स्वीकृत पदों में से अभी भी आधा दर्जन से अधिक चिकित्सकों के पद खाली हैं। जिससे मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा है और उन्हें निजी चिकित्सालय या हायर सेंटर का रुख करना पड़ता है।
ऋषिकेश का राजकीय चिकित्सालय मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है। अस्पताल में प्रमुख चिकित्सकों के पद कई माह से रिक्त होने के कारण यहां पर आने वाले मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिससे उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में महंगे दामों पर अपना इलाज करवाना पड़ता है। चिकित्सालय में चिकित्सकों की नियुक्ति की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने लंबे समय तक आंदोलन भी किया था, जिसके बाद जनप्रतिनिधियों के दखल से चिकित्सालय में कुछ चिकित्सकों की नियुक्ति हुई थी। मगर, इसके बाद कुछ चिकित्सकों के तबादले अन्यत्र हो जाने के कारण फिर से स्थिति जस की तस हो गई है। राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सकों के अभाव में ट्रामा वार्ड भी राम भरोसे संचालित हो रहा है। आलम यह है कि राजकीय चिकित्सालय में आने वाले सामान्य घायलों से लेकर गंभीर रोगियों तक को सीधे हायर सेंटर के लिए रेफर का पर्चा थमा दिया जा रहा है। यही नहीं गर्भवती महिलाओं की सामान्य डिलीवरी के अधिकांश मामलों को भी यहां टालने की कोशिश की जाती है। ऐसे वक्त पर मरीजों को सबसे बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यह है चिकित्सालय में रिक्त पदों की स्थिति
- पदनाम——————- स्वीकृत पद—रिक्त पद
- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक—–01
- चिकित्सा अधि. महिला——-01
- ईएनटी सर्जन——————-01
- पैथोलॉजिस्ट——————- 01
- हृदय रोग विशेषज्ञ ————01
- चिकित्साधिकारी कार्डियो.——01
- चिकित्साधिकारी स्किनबर्न—–01
- ईएमओ—————————02
- कुल योग————————-09
जर्जर भवन में संचालित हो रहा क्षय रोग विभाग
राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश के परिसर में ही पुराने भवन पर कई वर्षो से क्षय रोग विभाग व्यवस्था पर संचालित हो रहा है। क्षय रोग विभाग का भवन इस कदर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पहुंच गया है कि यहां जाने में भी डर लगता है। बरसात के दिनों में भवन की छत टपकने लग जाती है, जिससे कमरों और गैलरी में जल भराव हो जाता है। जल भराव के कारण मरीजों व कर्मचारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि टपकती छत के नीचे ही चिकित्सक व स्टाफ बैठते हैं और मरीजों को यहीं उपचार भी दिया जाता है। मगर संबंधित विभाग इस ओर नहीं दे रहा है। यहां संचालित क्षय रोग विभाग पर तीर्थनगरी सहित हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी व उत्तरकाशी के क्षय रोग से ग्रस्त रोगियों की जिम्मेदारी है। पहाड़ी जिलों का सबसे नजदीक पडऩे वाला यह क्षय रोग केंद्र खुद ही अपनी सूरत पर आंसू बहा रहा है। इस संबध में क्षय रोग विभाग के कर्मचारी कई बार चिकित्सालय प्रशासन व अधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं। मगर, विभाग शायद किसी दुर्घटना के इंतजार में ही बैठा है।
बोले अधिकारी
डॉ. एनएस तोमर (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, एसपीएस राजकीय चिकित्सालय, ऋषिकेश) का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सकों से इमरजेंसी के साथ ही ओपीडी ड्यूटी भी करवानी पड़ रही है, जिससे चिकित्सकों को भी परेशानियां हो रही है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को लिखित व मौखिक रूप से अवगत कराया गया है। टीबी हास्पिटल की हालत से भी उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित किए गए हैं।