देहरादून। चिकित्सक बनने का सपना देख रहे छात्रों को प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति ने बड़ा झटका दिया है। डॉक्टरी की पढ़ाई प्रदेश में अब महंगी हो गई है। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज के प्रस्ताव पर समिति ने एमबीबीएस व एमडी-एमएस की फीस में दो से ढाई गुना तक की फीस वृद्धि को मंजूरी दी है। वहीं, स्वामी राम हिमालय यूनिवर्सिटी ने अपीलीय प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश के क्रम में स्वयं शुल्क निर्धारित किया है। ऐसे में ऑल इंडिया ही नहीं, बल्कि राज्य कोटा के तहत दाखिला लेने वालों को भी अब लगभग दोगुना शुल्क देना होगा।
बता दें, प्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों के शुल्क निर्धारण का मामला काफी वक्त से अटका हुआ था। गत वर्षों में यूजी व पीजी पाठ्यक्रम की कई काउंसिलिंग बगैर शुल्क निर्धारण के ही हुई। इस कारण सरकार व निजी कॉलेजों के बीच तनातनी की स्थिति रही। स्थिति यह कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
शुल्क तय न होने पर छात्रों को शपथ पत्र लेकर दाखिला दिया गया। यानी प्रवेश के लिए छात्रों को तमाम मुश्किलों से जूझना पड़ा। यह मुश्किल आगे भी कम होती नहीं दिख रही है। वजह है शुल्क में बेतहाशा वृद्धि। दरअसल, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय नैनीताल से ही समितियों के लिए दो नाम मांगे थे। हाईकोर्ट से नाम मिलने के बाद रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह को प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति का अध्यक्ष व जस्टिस सुरेंद्र सिंह पाल को अपीलीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
15 मार्च को प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज के शुल्क पर विचार हुआ। इसमें दो से ढाई गुणा तक वृद्धि की गई है। स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी ने अपीलीय प्राधिकरण के उस आदेश को आधार बनाया है, जिसमें विवि के फीस निर्धारण के अधिकार को मान्य करार दिया गया था।
कई गुना बढ़ोत्तरी का था प्रस्ताव
श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज ने प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण समिति के समक्ष कई गुणा फीस बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया था। इसके लिए बाकायदा चार्टर्ड एकाउंटेंट की रिपोर्ट प्रस्तुत की। एमबीबीएस में 21 लाख 70 हजार, पीजी क्लीनिकल में 26 लाख 84 हजार व पीजी नॉन क्लीनिकल में 22 लाख 48 हजार रुपये सालाना फीस प्रस्तावित की। प्रस्ताव पर चर्चा के बाद समिति के सदस्यों की सहमति से 2019-22 के लिए शुल्क निर्धारित किया।
कई तरह के अन्य शुल्क भी
यह शुल्क बढ़ोत्तरी छात्रों पर भारी पड़ने वाली है। वजह यह कि इस फीस से अलग उन्हें तमाम अन्य शुल्क भी देने होंगे। जिसमें प्रवेश शुल्क, हॉस्टल फीस, मेस फीस आदि शामिल हैं। यह अलग बात है कि पीजी छात्रों को स्टाइपेंड के माध्यम से कुछ राहत मिलेगी।