उत्तराखण्ड

दो साल बाद भी नहीं हो पाया कैदियों का डाटा फीड

देहरादून,  केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में सभी प्रदेशों में ई-प्रिजन योजना लागू करने का निर्णय लिया था। इस योजना का मकसद सभी कैदियों का रिकॉर्ड डिजिटाइज्ड करने के साथ ही इसे ऑनलाइन भी करना था।इसके तहत सभी अपराधियों के डाटा का कंप्यूटरीकरण कर ऑनलाइन किया जाना है। इसमें अपराधी की जेल में बिताई हुई अवधि, उस पर दर्ज मुकदमें, धाराएं आदि की सूचनाएं शामिल हैं। मकसद यह कि किसी भी अपराधी का नाम कंप्यूटर पर फीड करते ही एक क्लिक पर उसकी पूरी जानकारी स्क्रीन पर देखी जा सके। इसके साथ ही कैदियों की ऑनलाइन पेशी को भी इसमें शामिल किया गया है। इस योजना का 90 प्रतिशत अंश केंद्र सरकार व 10 प्रतिशत प्रदेश सरकार ने देना है। इसके लिए वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बजट में बाकायदा प्रावधान किया गया। बावजूद इसके यह योजना बेहद ही धीमी गति से आगे बढ़ रही है। केवल देहरादून जेल में ही रिकॉर्ड काफी हद तक डिजिटाइज्ड हो पाए हैं और यहां से कुछ मामलों में ऑनलाइन पेशी भी की गई है।

 

 

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