उत्तराखण्ड

आई स्केटिंग रिंक के नाम पर डकार लिए 85 करोड़

-उत्तराखंड में सरकार आई और गई, खिलाड़ी नहीं दिखा पाए अपना हुनर

– आई स्केटिंग के नाम पर भवन की बदत्तर हो गई हालत, सफेद हाथी साबित हुआ रिंक

(UK Review) देेहरादून। उत्तराखंड में साहसिक खेलों को तो बढ़ावा नहीं दिया जा सका, लेकिन इस खेल को बढ़ावा देने के नाम पर करोड़ों रूपये ठिकाने जरूर लगा दिए। पूर्ववर्ती सरकार ने इस खेल के लिए आई स्केटिंग रिंक बनवाया उस समय बकायदा यहां पर खेलों का आयोजन भी किया गया, लेकिन उसके बाद इस रिंक को बंद कर दिया गया है। बताया जाता है कि रिंक बनाने के लिए जिस कंपनी को करोड़ों का टेंडर दिया गया, उसका पिछला इतिहास भी नहीं था, फिर भी उसी कंपनी
को यह काम दिया गया। कंपनी प्रबंधन ने टेंडर के नाम पर शासन में बैठे अफसरों की खूब सेवा की। सूत्रों के अनुसार जब रिंक बनवाया गया था तो इसमें तकनीकी चीजों को दरकिनार रखा गया। अब इसीलिए यहां खेलों का आयोजन नहीं किया जा रहा है। देहरादून के रायपुर स्थित महाराणा प्रताप स्टेडियम में करीब 85 करोड़ की लागत से आई स्केटिंग रिंक का निर्माण किया गया। उस समय तो राज्य के खिलाड़ियों को लग राहा था कि अब वह इस खेल मेंअपना हुनर दिखाएंगे और राज्य समेत दूसरे राज्यों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएंगे। उनका यह सपना तब साकार हुआ जब 2010 में यहां साहसिक खेलों का आयोजन किया गया। उसके बाद से आज तक यहां एक भी गेम्स का आयोजन नहीं हुआ है। आई स्केटिंग बनवाने के नाम पर 85 करोड़ रुपये खर्च किए गए। स्पोटृर्स काॅलेज के सूत्रों ने बताया कि जब आई स्केटिंग रिंक का निर्माण किया गया था
उस समय पैसों का खूब दुरुपयोग किया गया। इसका उस समय सरकार को शिकायत भी की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया। नतीजतन करोड़ों रुपये डकार लिए गए। खेल पे्रमियों ने इसकी शिकायत वर्तमान सरकार और खेल मंत्राी से भी की, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। समाज सेवी डीके पाठक ने कहा कि जब से उत्तराखंड अलग बना है, तब से किसी भी सरकार ने गंभीरता से लोगों की नहीं सोची है। विकास योजनाओं के नाम पर लोगों को छला गया है
। उन्होंने कहा कि आई स्केटिंग रिंक के नाम पर करोड़ो रुपये खुर्द-बुर्द कर दिए गए, लेकिन उत्तराखंड के होनहार बच्चों को इसका कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए और दोषी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस संबंध में खेल सचिव बृजेश संत ने कहा कि आई स्केटिंग रिंक में कई तरह की तकनीकी खामियां हैं। इन तकनीकि खामियों को दूर कर जल्द यहां साहसिक खेलों का आयोजन किया जाएगा।

पैसा हजम, आई स्केटिंग बदहाल और कंपनी हुई बंद

सूत्रों ने बताया कि पाइन एंड पिक एजेंसी को आई स्केटिंग रिंक बनाने का टेंडर दिया गया था। उस समय भी एजेंसी की कार्यप्रणाली पर उंगली उठी थी, लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। हुआ भी वही, कंपनी ने नियमों के उलट काम कर पैसा लेकर चलती बनी। वर्तमान में आई स्केटिंग रिंक बदहाल स्थिति में पहुंच चुकी है।

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