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दस साल बाद निगम के फ्लैट के लिए 56 लोगों की निकली लाटरी

देहरादून, UKR। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत बेसिक सर्वे टू अर्बन पुअर बीएनयूपी योजना के तहत ब्रह्मपुरी में 56 आवासों की लॉटरी के लिए नगर निगम में ड्रॉ निकाला गया। करीब 10 साल पहले इस आवासीय योजना की डीपीआर तैयार की गई थी। उसी समय मलिन बस्तियों में रहने वालों से आवेदन मांगे गए थे। प्रक्रिया में कुल 60 लोगों के आवेदन स्वीकार किए थे।नगर निगम में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे की मौजूदगी में सभी 56 आवास के लाभार्थियों की लॉटरी निकाली गई। नगर आयुक्त ने बताया कि सभी लाभार्थियों को 29500 की राशि 15 दिन में नगर निगम में जमा करनी होगी। इसके बाद सभी लाभार्थियों के नाम दो कमरों के इन फ्लैट की रजिस्ट्री की जाएगी। धनराशि जमा न होने पर आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। योजना के लाभार्थी लॉटरी में अपना नाम पाकर फूले नहीं समा रहे थे। केंद्र की इस आवासीय योजना के तहत नगर निगम ने 2010 में ब्रह्मपुरी, काठबंगला व रामनगर में शहरी गरीबों के लिए फ्लैट्स का निर्माण किया था। इनमें ब्रह्मपुरी में 2013 तक 56 फ्लैट बनकर तैयार भी हो गए थे। लेकिन जब नगर निगम ने ब्रह्मपुरी बस्ती में काबिज लोगों को शिफ्ट करना चाहा तो अधिकांश लोग कब्जे के भवनों को छोड़कर इन फ्लैट्स में जाने को तैयार नहीं हुए। तब से ये फ्लैट्स यूं ही खाली पड़े हुए थे। पिछले साल नगर आयुक्त ने फ्लैट्स के आवंटन की प्रक्रिया को दुबारा शुरू करवाने के लिए कमेटी गठित की। जिस पर साठ लोगों ने फ्लैट लेने में दिलचस्पी दिखाई। योजना प्रभारी रमेश चैहान ने बताया कि कागजी औपचारिकता पूरी होने पर जल्द ही आवंटियों को कब्जा दे दिया जाएगा।
नगर आयुक्त ने बताया जेएनएनयूआरएम मिशन के तहत बनाए गए इन आवासों का काम यूपी निर्माण निगम से कराया गया था। लेकिन अब नए काम एमडीडीए जैसी राज्य की ही किसी एजेंसी से करवाने की संस्तुति की गई है। यूपी निर्माण निगम के काम से निगम संतुष्ट नहीं है। इसकी शिकायत भी शासन में की गई है नगर निगम चाहता है कि या तो वह खुद या एमडीडीए भवन निर्माण का काम करें। योजना को विस्तार देने के लिए शासन से 12 करोड रुपये की मांग की गई है।
फ्लैट्स देने के लिए नगर निगम ने शर्त भी जोड़ी है। यानि जिन लोगों के नाम लाटरी में निकले हैं। उनसे शपथ पत्र लिया जाएगा कि फ्लैट निकलने पर उन्हें कब्जा तभी दिया जाएगा जब वह पूर्व का कब्जा छोड़ेंगे। 15 साल तक फ्लैट को न तो बेचा जा सकेगा न ही किराए पर दिया जा सकेगा। चूंकि फ्लैट की कीमत काफी कम है इसलिए लाभार्थियों से एकमुश्त पैसा जमा करने को कहा गया है।

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