-पत्रक कार्यक्रम चला कर दे रहे विधायक संक्रमण को बढ़ावा
देहरादून। उत्तराखण्ड में आयोजित राजनाथ सिंह जी की वर्चुअल रैली में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के शासन काल की प्रशंसा और कोरोना केयर सेंटरों की तरीफ अत्यंत ही निंदनीय है। राजनाथ सिंह जी को चाहिए कि वे वहीं से बैठ की अंदाजे लगाने के बजाए यहां आ कर जमीनी हकीकत को देखें और फिर इसकी प्रशंसा करें। यदि कोविड केयर सेंटरों की हालत इतनी ही अच्छी होती तो दो लोग अत्महत्या करने को मजबूर न होते।
उक्त सभी आरोप आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र सिंह आनंद जी ने लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष पूरा होने पर देश भर में बीजेपी की वर्चुअल रैलियां की जा रही है। जहां बीजेपी की उपलब्धियों को गिनवाया जा रहा है साथ ही भाजपा शासित राज्यों के कार्यों की प्रशंसा भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में उतना ही हास्यास्पद है कि वर्चुअल रैली में प्रतिभाग करने वाले लोग भी भाजपा के ही है और उन्ही को अगर उनकी पार्टी की उपलब्धियां गिनवानी पड़े तो इससे बड़ी हास्यास्पद स्थिति क्या होगी। यहीं नहीं वुर्चुअल रैलियों में लोग वहीं से बैठ कर तरीफों के जो पुल बांध रहे है वे यहां की जमीनी हकीकत से कोसो दूर है। उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों के कोविड केयर संेटरों की तरीफे करने वालों को यह जानकारी नहीं कि यहां राजधानी में ही लोग कोविड केयर सेंटर में आत्महत्या कर करे हे तो भला पहाड़ों में क्या सुविधाएं दी जा रही होंगी।
रविंद्र आनंद ने कहा कि जहां एक ओर वर्चुुअल रैलियां की जा रही है सोशल डिस्टेंसिंग का नाम लेकर वहीं दूसरी ओर भाजपा का पत्रक कार्यक्रम इसकी पूरी तरह से धज्जियां उड़ाते हुए संक्रमण का खतरा भी बढ़ा रहा हैं। ज्ञात हो कि अभी एक कैबिनेट मंत्री के कारण पूरी कैबिनेट कोरंटीन हो गई थी अब विधायक घर घर जा कर सरकार की उपलब्धियांे के पर्चे बांट रहे हैं। आम आदमी के लिए जहां शनिवार और रविवार को पूर्ण लाॅकडाउन था वहीं सरकार के विधायक स्वयं इसका पालन न करते हुए घर घर जा कर पर्चे बांट रहे थे जिससे वे संक्रमण का खतरा भी बढ़ा रहे थे। श्री आंनद ने कहा कि उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि क्या उनका पता है जिन लोगों से वे मिल रहे है उनमें से किसी को संक्रमण नहीं होगा और उनके माध्यम से आगे नहीं फैलेगा।
श्री रविंद्र सिंह आनंद ने कहा कि कुल मिला कर भाजपा सरकार इस कोरोना की स्थिति से निपटने के बजाए जिन जिन राज्यों में दो वर्ष बाद चुनाव है उन पर फोकस करते हुए चुनाव की तैयारी में लग गई है।