टिहरी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय आगामी 28 जून से उत्तराखंड के गांवों में कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों, प्रतिकूल प्रभावों और उसके समाधानों पर जन-संवाद आरम्भ करेंगे। अपने गांव पाली से महाष्टमी के पावन अवसर पर भगवती मां राज राजेश्वरी की वंदना कर इस संवाद का शुभारम्भ करेंगे। उपाध्याय ने बताया कि इन कठिन परिस्थितियों में उत्तराखंड के सुदूरवर्ती गावों पर फोकस करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसीलिये उन्होंने नई टिहरी अपना बसेरा बनाकर मूलतः अपने पैतृक गाँव पाली को अपने आन्दोलन, सामाजिक और राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु बना रहे हैं। महात्मा गांधी की भारत की अवधारणा के मूल गांव ही थे। उपाध्याय ने कहा कि इसी भावना को समझने के लिये गत 30 महीनों में उन्होंने लगभग 200 गांवों में रात्रि ‘बासा कार्यक्रम किये। वनाधिकार आन्दोलनों की मुहिम उसी अनुभव का परिणाम है। आज परिस्थितियां दुरूह और जटिल हो गयी हैं। मजबूरी के पलायन और मजबूरी की घर वापसी ने उत्तराखंडी युवाओं के सामने विकट स्थिति पैदा कर दी है। यह समस्या युवाओं के सामने ही नहीं, बल्कि गांवों के सामने भी आ खड़ी हुई है। राज्य में अचानक आत्म हत्याओं की प्रवृति बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र की क्रय शक्ति में 70 प्रतिशत की कमी आई है। महंगाई व बेरोजगारी आज बड़ी समस्या बन गई है। सीमाओं पर हो रही दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने राज्य सैनिक प्रभावी क्षेत्र होने के कारण ग्रामीण जन-मानस में भय का वातावरण व्याप्त कर दिया है।