देहरादून। उत्तराखंड में जनसहभागिता के सहयोग से सहकारिता के नए आयाम स्थापित करने के साथ ही राज्य को सहकारिता प्रदेश के रूप में पहचान दिलाने के लिए पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं। इससे जहां प्रदेश में रोजगार के अवसर सृजित होंगे वहीं दूसरी ओर सहकारिता में किसानों एवं पशुपालकों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित होगी। यह बात सहकारिता, उच्च शिक्षा, दुग्ध विकास एवं प्रोटोकाॅल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ. धन सिंह रावत ने देहरादून में आयोजित सहकारिता विभाग की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में कही।सहकारी प्रबंध संस्थान राजपुर में आयोजित बैठक में डाॅ. रावत ने कहा कि देश के कई राज्यों में गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना आदि में सहकारिता विभाग जनसहभागिता की बदौलत नए आयाम स्थापित कर चुके हैं। इसी तरह उत्तराखंड में भी सहकारिता विभाग को चुस्त-दुरूस्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं। जिसके तहत सहकारी बैंकों एवं बहु उद्देशीय समितियों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने के साथ ही उनके कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए ठोस कदम उठाये गये हैं। इसी कड़ी में राज्य के सभी 670 सहकारी समितियों का कम्प्यूटरीकरण किये जाने का निर्णय लिया गया है। जिससे समितियों में पादर्शिता आयेगी साथ ही समितियों से जुड़े किसानों एवं सदस्यों को अनेक सुविधाएं प्राप्त होंगी। इसके लिए उन्होंने सभी अधिकारियों को शीघ्र सभी समितियों का आॅडिट काराये जाने के साथ ही कम्प्यूटरीकरण के लिए आवश्यक डाटा नोडल अधिकारी को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटरीकरण के उपरांत जहां सहकारी बैंकों द्वारा समितियों के माध्यम से दिये जाने वाले विभिन्न ऋणों के लेन-देन में भी सुविधा एवं पारदर्शिता रहेगी वहीं समितियों को होने वाले शुद्ध लाभ का भी पता चल सकेगा। इस योजना को सफल बनाने के लिए डाॅ. रावत ने जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्षों, महा प्रबंधकों एवं विभागीय अधिकारियों से अपने सुझाव साझा करने को कहा। राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में राज्य के सहकारी विभाग में जो कार्य हुए हैं वह किसी से छुपे नहीं हैं। उन्होंने समस्त सहकारी बैंकों की ओर से आश्वासन देते हुए कहा कि सहकारिता के उत्थान के लिए बैंकों का पूरा सहयोग रहेगा।सहकारिता परिषद उत्तराखंड के उपाध्यक्ष हयात सिंह माहरा ने सहकारिता मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत के प्रयासों एवं विजन की सराहना करते हुए कहा कि पिछले तीन सालों में विभाग में जो अमूल-चूल परिवर्तन हुए हैं, वह पिछले कई दशकों में भी नहीं हो पाये। उन्होंने विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं बैंक अध्यक्षों का आहवान करते हुए कहा कि ऐसे में सभी का दायित्व बनता है कि वह ईमानदारी एवं जिम्मेदारी के साथ अपने अपने कार्यों का निर्वहन करते हुए सहकारिता को नया मुकाम हासिल करने में अपना योगदान दें।
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