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हिमालयन गोट मीट-उत्तराफिश-फे्रश हिमालयन फिशेश और मीट आॅफ हवील्स का उद्घाटन

देहरादून। ‘आत्मनिर्भर उत्तराखंण्ड प्रगति पथ पर’ थीम को लेकर आज उत्तराखण्ड शिल्प इम्पोरियम (उत्तराहाट) सहस्त्रधारा रोड में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रेखा आर्य की मुख्य आतिथ्य एवं मसूरी विधायक गणेश जोशी की अध्यक्षता में बीएकेआरएडब्ल्यू हिमालयन गोट मीट-उत्तराफिश-फे्रश हिमालयन फिशेश और मीट आॅफ हवील्स का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने कहा कि राज्य के भेड़-बकरी, मत्स्य, पालकों को विकास की सौगात देने हेतु राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) सहायतित उत्तराखण्ड राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना अन्तर्गत प्राथमिकता से सहकारी समिति के लाभार्थी सदस्यों को कलस्टर आधारित उत्पादों को समर्पित विपणन व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने राज्य पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाये जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि बीएकेआरएडब्ल्यू हिमालयन गोट मीट-उत्तराफिश-फे्रश हिमालयन फिशेश और मीट आॅफ हवील्स परियोजना से पशुपालकों की आय के स्त्रोत बढेंगे तथा राज्य के उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त मीट प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से राज्य की महिला पशुपालकों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकेगा क्योंकि राज्य में 7000 से अधिक महिला पशुपालकों की आजीविका इसी से चलती है। कार्यक्रम में अतिथियों को भेड़-बकरी, शशक पालक को-आॅपरेटिव  फेडरेशन लि0 द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किये गये। इसके अतरिक्त उत्तराखण्ड फिश एवं मीट आॅफ हवील्स का विशेष आमंत्रियों द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया गया। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सचिव पशुपालन आर मीनाक्षी सुन्दरम ने बताया कि आत्मनिर्भर  उत्तराखण्ड प्रगति के पथ पर अग्रसर हो इसके लिए पशुपालकों, मत्स्य पालकों को राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं से जोड़कर लाभान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयन गोट मीट- उत्तराफिश नामक दो योजनाओं के माध्यम से उत्तराखण्ड के पशु पालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। इस परियोजना को एनसीडीसी राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम द्वारा फंडिंग की व्यवस्था की जा रही हैं उन्होंने कहा कि किसान के खेत से लेकर उपभोक्ता  की थाली तक उत्पाद पहुचाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप  काश्तकारों को उनके उत्पाद का उचित  मूल्य प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां पर बीएकेआरएडब्ल्यू  हिमालयन गोट मीट की ब्रांडिंग कर आॅनलाईन-आॅफलाईन विपणन व्यवस्था चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराफिश के माध्यम से जहां केवल 70 मी0 टन मीट-मछली का उत्पादन हो रहा है वहीं इससे अग्रेत्तर निकलते हुए 1000 मी0 टन  उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संवर्धनयोजना से राज्य के मत्स्य पालकों को आत्मनिर्भर बनाये जाने को विशेष प्रयास राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है।

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