देहरादून। उत्तरखण्ड प्रदेष कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कोरोना संक्रमण काल के दौरान राज्य सरकार के फैसलों की निंदा करते हुए उत्तराखण्ड सरकार पर कडा हमला बोला। प्रीतम ंिसह ने कहा कि यह अचरज की बात है कि राज्य सरकार संवेदनहीनता की सारी हदों को पार कर चुकी हैं। एक तरफ तो 55 दिनों तक आन्दोलनरत रहे उपनल कर्मियों की राज्य सरकार के द्वारा कोई सुध नही ली जाती और जब एक तरफ सरकार के मंत्री उपनल कर्मियों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाते हैं और उन्हें नियमितीकरण का आश्वासन देकर आते हैं वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार के द्वारा 400 उपनल कर्मियों के ऊपर मुकदमा लगा दिया जाता है। प्रीतम सिंह ने पूछा कि ये सरकार का दोहरा चरित्र नही तो और क्या है और सरकार से मुकदमा वापस लेने को कहा।
उत्तराखण्ड पुलिस कर्मियों को मायूस करने वाले सरकार के आदेष की भी प्रीतम सिंह ने कडे शब्दों में निन्दा की। प्रमोशन नही होने पर मिलने वाले ग्रेड-पे में सरकार के द्वारा भारी कटौती कर दी गयी है, पुलिस कान्सटेबल को 20 साल की सेवा देने के बाद भी 4600 ग्रेड पे नही बल्की 2800 ग्रेड पे रूपये का ही ग्रेड-पे दिया जाएगा। इस फैसले से प्रदेष के लगभग 3500 कांस्टेबल प्रभावित होगें। प्रीतम सिंह ने कहा कि पूरे कोरोना काल में अपनी जान हथेली पर रखकर सेवा देने वाले पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहन देने के बजाए सरकार का यह रवैया न सिर्फ निंदनीय है बल्की पुलिसकर्मियों का मनोबल तोडनें वाला है। प्रीतम सिंह ने सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।
प्रीतम सिंह ने कहा कि जब पिछले साल कोरोना ने देष में दस्तक दी और सब अपने घरों में कैद हो गए उस वक्त कुछ लोगों ने हिम्मत दिखाते हुए स्वास्थ्य मेहकमें में सेवाएं देने के लिए अनुबन्ध के तहत अपनी रजामंदी दी थी। सरकार द्वारा उन लोगों को यह आश्वासन दिया गया था कि संकटकाल में सरकार को सहयोग करने के बदले उन्हें विभागों में समायोजित किया जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे प्रदेष के हालात बेहतर होने लगे और मरीजों की संख्या घटने लगी तो राज्य सरकार के द्वारा संवेदनहीनता दिखाते हुए एक झटके में इन लोगो को काम से निकाल दिया गया। नर्सिंग स्टाॅफ के रूप में कोरोना काल के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर सेंवाएं देने वाले युवक व युवतियां हताष और निराष होकर सब जगह अपनी गुहार लेकर गए लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी। और आज जब फिर प्रदेष के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, खासकर कि स्वास्थ्य मेहकमें की लचर व्यवस्थायें चिन्ता का विषय बनी हुई हैं एैसे में आज फिर जरूरत है कि राज्य सरकार उस बैकलाॅग को भरे तथा उन लोगों को पुनः काम पर रखा जाए।