Breaking उत्तराखण्ड

मां ज्वाल्पाधाम: यहां दैत्य पुत्री ने की थी मां पार्वती की तपस्या

पौड़ी  गढ़वाल क्षेत्र का यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ पौड़ी-कोटद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर पौड़ी से ३३ किमी० व कोटद्वार ७३ किमी० की दूरी पर सड़क से २०० मीटर दूर नयार नदी के तट पर स्थित है। स्कन्दपुराण के अनुसार सतयुग में दैत्यराज पुलोम की पुत्री शची ने देवराज इन्द्र को पति रूप में प्राप्त करने के लिये ज्वालपाधाम में हिमालय की अधिष्ठात्री देवी पार्वती की तपस्या की। मां पार्वती ने शची की तपस्या पर प्रसन्न होकर उसे दीप्त ज्वालेश्वरी के रूप में दर्शन दिये और शची की मनोकामना पूर्ण की। देवी पार्वती का दैदीप्यमान ज्वालपा के रूप में प्रकट होने के प्रतीक स्वरूप अखण्ड दीपक निरंतर मन्दिर में प्रज्वलित रहता है। अखण्ड ज्योति को प्रज्वलित रखने की परंपरा आज भी चल रही है। इस प्रथा को यथावत रखने के लिये प्राचीन काल से ही निकटवर्ती गांव से तेल एकत्रित किया जाता है। १८वीं शताब्दी में राज प्रद्युम्नशाह ने मन्दिर के लिये ११.८२ एकड़ सिचिंत भूमि दान दी थी । इसी भूमि पर आज भी सरसों की खेती कर अखण्डज्योति को जलाये रखने लिये तेल प्राप्त किया जाता है।यहां पर सुन्दर मन्दिर के अतिरिक्त भव्य मुख्यद्वार, तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु धर्मशालायें, स्नानघाट, शोभन स्थली व पक्की सीढ़ियां बनी हुई हैं। इसके अलावा संस्कृत विद्यालय भवन, छात्रावास व विद्यार्थियों के लिये सुविस्तृत क्रीड़ास्थल का भी निर्माण किया गया है। यहां शिवरात्रि, नवरात्र व बसंतपंचमी को मेले लगते हैं। मां ज्वालपा मन्दिर के भीतर उपलब्ध लेखों के अनुसार ज्वालपा देवी सिद्धिपीठ की मूर्ति आदिगुरू शंकराचार्य जी के द्वारा स्थापित की गई थी। मां ज्वालपा की एतिहासिकता की वास्तविकता कुछ भी हो परन्तु आज यहां शक्तिपीठ गढ़वाल के देवी भक्तों का एक पूजनीय सिद्धपीठ बन चुका है। लोग यहां श्रद्धास्वरूप अपनी मनोकामनायें लेकर यहां आते हैं।

Related posts

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष को आड़े हाथों लिया

Anup Dhoundiyal

कांवड़ यात्री वाहन ने सीओ को टक्कर मारकर किया घायल

Anup Dhoundiyal

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए रजनीकांत ने दी हासन को बधाई

News Admin

Leave a Comment