ऐसे बहुत ही कम चिकित्सक होंगे जो मरीज के सिर पर हाथ रखते हो, उसका हाथ अपने हाथों में लेकर हालचाल पूछते हों। बीमारी और आराम के बारे में ऐसे पूछते हों, जैसे वह कोई परिवार का सदस्य हो। ऐसा करते दिखे तो समझ जाइए वह डॉ. महेंद्र राणा हैं। सामान्य परिवार में पले बढ़े डॉ. महेंद्र राणा हर मरीज को अपने परिवार के सदस्य जैसा मानते हैं। डॉ. महेंद्र राणा ने सोचा भी न था कि चिकित्सक बनने के बाद उन्हें लोग इस तरह चाहेंगे। आज वह कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर गरीबों और असहायों को निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर उन्हें निशुल्क दवाएं देते हैं। अपने नर्सिंग होम में आने वाले गरीब और जरूरतमंद का इलाज भी निशुल्क करने से पीछे नहीं हटते। शायद इसी वजह से इनके मरीज इनको भगवान से कम नहीं मानते।भगवान का नाम बाद में पहले डॉक्टर याद आता हैकुछ लोग तो डॉक्टर महेंद्र राणा के पास बड़ी उम्मीद के साथ उनके पास आते हैंउनका केवल यह कहना कि चिन्ता की कोई बात नहीं,मन को सुकून मिल जाता है,आधी बीमारी भाग जाती है,न कोई अमीर न कोई गरीब,न जात- पात न धर्म का बंधन,अपनी जीवन की डोर उस पर सौंपते हैं,रात हो या दिन हर वक्त इलाज को तत्पर,दंगा-फ़साद हो या दुर्घटना,लाइलाज बीमारी हो या सर्दी-जुखाम डॉक्टर महेंद्र राणा अपनी पूरी ताकत और ज्ञान के साथ काम करते हैं,और मरीज और तीमारदार उन्हें तमाम दुआएं देते है,हर शख्स धन्यवाद देता है
चेहरे खिल उठते हैं