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आचार संहिता लागू होने से दो-तीन दिन पहले के सरकारी फैसलों का पुनरीक्षण कराए ईसीआईः मोर्चा  

-कैबिनेट के फैसलों को छोड़, सभी फैसलों पर आयोग ले संज्ञान
-ऊंची पहुंच वाले मार गए मैदान, सिफारिशविहीन खा रहे ठोकरें
-महीनों से धूल फांक रही पत्रावलियों पर कैसे लगे पंख

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र प्रेषित कर राज्य सरकार द्वारा आचार संहिता लगने के बाद (कैबिनेट के फैसलों को छोड़कर)बैक डेट में दो-तीन दिन पहले लिए गए तमाम फैसलों/आदेशों का परीक्षण एवं महीनों से धूल फांक रही फाइलों पर आचार संहिता लगते ही एकाएक कार्यवाही के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा आचार संहिता को तार-तार कर बैक डेट में जिस तरह से तबादले,  नियुक्तियां आदि किए गए हैं अथवा किए जा रहे हैं, निश्चित तौर पर स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक है। नेगी ने कहा कि वर्ष 2011-12 में निशंक सरकार के अपदस्थ होते ही खंडूरी सरकार ने निशंक सरकार की अपदस्थता के एक सप्ताह पहले तक के तमाम फैसलों का पुनरीक्षण कराकर दोबारा अनुमोदन के तहत ही उन तमाम फैसलों को स्वीकृति प्रदान की थी। मोर्चा ने भारत निर्वाचन आयोग से धामी सरकार द्वारा आचार संहिता लागू होने से दो-तीन दिन पहले के तमाम फैसलों/ आदेशों का पुनरीक्षण कराने की मांग की है।

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