पौड़ी- जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे सियासत का रंग भी गाढ़ा होता जा रहा है। सस्पेंस, ड्रामा और क्लाइमेक्स वगैरह-वगैरह। सबकुछ तो है यह चुनावी मौसम में। सियासी पंडितों का सियासी फलादेश अलग से। पौड़ी सुरक्षित सीट पर भी कुछ-कुछ ऐसा ही है। यहां अब भाजपा व कांग्रेस में सीधे-सीधे कांटे की टक्कर मानी जा रही है। यहां तक कहा जाने लगा है कि पोरी व नवल में किसे बीस माना जाये, तय कर पाना बेहद मुश्किल। यह तो जनता ही तय करेगी। देखा जाये तो पौड़ी सुरक्षित सीट पर भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिये चुनौतियां सामने खड़ी है और वक्त है कि रेत की तरह से हाथ से निकलता जा रहा है। सियासी पंडित बताते हैं कि पिछले पांच के वक्त को देखें तो नवल के मुकाबले पोरी जनता के बीच ज्यादा सक्रिय दिखे। पोरी के सामने चुनौती यह भी है कि एंटी-इनकमबेंसी को हर साल में साधना होगा। पौड़ी सीट पर एंटी-इनकमबेंसी को कांग्रेस मजबूत हथियार के रूप में देख रही है और इसका इस्तेमाल भी होगा।कांग्रेस प्रत्याशी नवल किशोर के सामने डैमेज कंट्रोल को मजबूत और असरदार करने की भी चुनौती है। टिकट नहीं मिलने से पौड़ी सीट पर कईयों को नाराजगी भी है। इन रूठे हुये लोगों को मनाना व अपना बनाना भी चुनौती ही है। सोसल मीडिया पर तैर रही पोस्टों पर यकीन करें तो पौड़ी सीट पर बगावत की चिंगारी भी सुलगने लगी है।बहरहाल, पौड़ी सुरक्षित सीट पर इस बार कांटे की टक्कर तय मानी जा रही है। चुनावी मौसम में मैदान मारने की जोर-आजमाईश इधर भी है तो उधर भी। किसका दांव अचूक बैठता है यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन सियासत का रंग जरूर गाढ़ा हो रखा है।
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