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तो हरक की हनक कोटद्वार, लैंसडोन व चैाबट्याखाल तक, पढ़िये पूरी खब

कोटद्वार-सियासत के मौसम विज्ञानी कहे जा रहे हरक सिंह रावत एपिसोड के बाद सियासत के नये समीकरण उभरकर सामने आने लगे हैं। भले ही हरक सिंह रावत राज्य की 35 सीटों पर अपना असर होने की बात कह रहे हों लेकिन बहरहाल, राज्य की तीन सीटों के समीकरणों पर तो सीधा असर पड़ा है। यह असर भाजपा व कांगे्रस दोनों दलों की सियासत पर देखने को मिल रहा है।कोटद्वार व लैंसडोन विधानसभाओं के सियासी समीकरणों पर सीधा असर सामने आ चुका है। यदि भाजपा से विदाई नहीं होती तो बहुत संभव था कि हरक सिंह रावत भाजपा के टिकट पर कोटद्वार के प्रत्याशी होते। हरक सिंह ने साल-2017 में कोटद्वार सीट पर जीत दर्ज की थी। उस वक्त मजबूत पकड़ व जनाधार रखने वाले पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को हार का सामना करना पड़ा था। इस समय कोटद्वार सीट पर प्रत्याशी तय करने में भाजपा को पसीना बहाना पड़ रहा है। हरक भाजपा में होते तो भाजपा को माथापच्ची नहीं करनी पड़ती।इसी प्रकार से लैंसडोन सीट पर भी हरक इफेक्ट साफ दिख रहा है। हरक के कांग्रेस में आने के बाद यहां भी कांग्रेस के करीब दर्जनभर दावेदारों के अरमान पानी-पानी हो गये हैं। हरक कांग्रेस में नहीं आते तो बहुत संभव था कि लैंसडोन में एक दर्जन दावेदारों में से किसी एक पर कांग्रेस दांव खेलती।हरक के तीसरे इफेक्ट के कयास चौबट्टाखाल सीट पर लगाये जा रहे हैं। सियासी फिजांओें में ऐसी भी खबरें तैर रही हैं कि कांग्रेस हरक सिंह को चौबट्टाखाल सीट पर चुनावी मैदान में उतार सकती है। फिलवक्त, चुनावी मौसम में सियासत के सारे रंग एकसार हो रहे हैं। आने वाले दिनों में यह और दिलचस्प होगी।

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