देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में अंतरार्ष्ट्रीय वन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एफ0आर0आई के मुख्य भवन में ‘‘वन और सतत उत्पादन व खपत‘‘ विषय पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदशर्नी का उद्घाटन प्रभारी निदेशक आर.पी. सिंह, भा.व.से. के कर-कमलों से किया गया। प्रदशर्नी में पोस्टर और अन्य प्रदशर्न सामग्री के माध्यम से वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी साझा की गई। इस अवसर पर संस्थान के सभी प्रभागों के प्रमुख, वैज्ञानिक और एफआरआई के अधिकारीगण उपस्थित थे।
वन संरक्षण प्रभाग की ओर से पोस्टर और प्रदशर्नियों के माध्यम से प्रभाग द्वारा विकसित पयार्वरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को प्रदशिर्त किया गया। माइकोराइजा और बैक्टीरिया से जुड़े विभिन्न पयार्वरणीय परिस्थितियों में उगने वाली विभिन्न वन वृक्ष प्रजातियों के लिए विकसित जैव-उवर्रक भी प्रदर्शित किए गये। वन संवधर्न एवं प्रबंधन प्रभाग की ओर से लगाई गई स्टॉल में विभिन्न प्रजातियों जैसे कि काष्ठ, औषधीय, तिलहन, कृषि वानिकी और विभिन्न प्रकार के पौधों के बीज प्रदर्शित किए गये। रसायन विज्ञान और जैव पूवेर्क्षण प्रभाग के स्टॉल में पादप बायोमास से प्राकृतिक रंगों के विकास और प्राकृतिक रंगों से रंगे हुए कपड़ों का प्रदर्शन किया गया। चीड़ के पीरुल से विकसित प्राकृतिक रेशे और चीड़ के रेशों से बनी वस्तुओं को भी दशार्या गया। आनुवांशिक एवं वृक्ष सुधार प्रभाग ने कुछ महत्वपूर्ण पेड़ प्रजातियों जैसे डैलबजिर्या सिसू, मीलिया डूबिया, अजाडीरेच्टा इंडिका, सल्वाडोरा, बांस और रिंगाल आदि को प्रदर्शित किया। इस अवसर पर वानिकी और प्रकृति विषय पर एक फोटो प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। काष्ठ शरीर एनाटॉमी शाखा ने काष्ठ की पहचान की प्रक्रिया पर पोस्टर प्रदशिर्त कर काष्ठ की पहचान की आवश्यकता के बारे में जानकारी साझा की। विस्तार प्रभाग ने निबंध एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें नवोदय एवं केन्द्रीय विद्यालयों के विद्याथिर्यों ने भाग लिया। छात्रों को दो ग्रुप जूनियर (6वीं से 8वीं) और सीनियर (9वीं से 12वीं) में बांटा गया था। विजेताओं को प्रथम, द्वितीय, तृतीय व सांत्वना पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। प्रचार और संपर्क कार्यालय ने वाटर कलर पेंटिंग के माध्यम से जंगल के महत्व को दिखाया। प्रदशर्नी में अन्य प्रभागों ने भी अपनी गतिविधियों से संबन्धित जानकारी साझा की। अंतरार्ष्ट्रीय वन दिवस के उपलक्ष्य पर वन अनुसंधान संस्थान के सभी संग्रहालय सभी आगंतुकों के लिए निःशुल्क खुले रहे।