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मुख्य सचिव ने एफआरआई परिसर पहंुचकर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियों का जायजा लिया

देहरादून। मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन एस. एस. संधू ने एफआरआई परिसर पंहुचकर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियों का जायजा लिया। मुख्य सचिव ने कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था, अतिथि गणों  के आवागमन हेतु रूट प्लान एव कार्यक्रम परिसर में स्थापित हो  रही सिटिंग व्यवस्था, जलपान, भोजन, पार्किंग स्थल सहित अन्य  व्यवस्थाओं का अवलोकन करते हुए संबंधित अधिकारियों को कार्य पूर्ण कराने के आवश्यक दिशा निर्देश दिए। साथ ही निर्देशित किया कि आवागमन रूट सहित समस्त व्यवस्थाओं को सुगम बनाया जाए।
इस दौरान मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों  को निर्देशित किया कि ले आउट के अनुरूप सभी  कार्य यथाशीघ्र पूर्ण  करें। कहा कि सुरक्षा मानको के दृष्टिगत तथा प्रोटोकॉल के अनुरूप  इवेंट से संबंधित लेआउट प्लान, इंटरनल व एक्सटर्नल प्लान, मूवमेंट प्लान, फूड कोर्ट, इनॉग्रेशन  हॉल  आदि को सुव्यवस्थित रूप से  स्थापित  करें। निरीक्षण के दौरान सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम, सचिव पंकज पांडे, सचिव मुख्यमंत्री, आयुक्त गढवाल विनय शंकर पाण्डेय आईजी गढवाल के.एस नग्याल, जिलाधिकारी सोनिका, डी0जी0 इंडस्ट्री रोहित मीना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह, नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह, इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के सभी अधिकारी उपस्थित रहे।

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सड़क सुधार में लापरवाही पर दो अभियंताओं पर 28.98 लाख रुपये का जुर्मानादेहरादून। हरिद्वार जिले के तीन मोटर मार्गो के पुनर्निर्माण एवं सुधारीकरण कार्यो में अनियमितता और अपने कार्यो का सही प्रकार से अनुपालन न करने पर शासन ने लोक निर्माण विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। इस मामले में आरोपित तत्कालीन अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड देहरादून, सुशील कुमार गुप्ता और तत्कालीन सहायक अभियंता, निर्माण खंड देहरादून श्रीकांत शर्मा को दोषी पाते हुए इनकी दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है। दोनों से 28.98 लाख रुपये वसूलने के निर्देश भी दिए गए हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा 2009 में रुहालकी-सहदेवपुर, पिरान कलियर-मुजाहिदपुर-शक्तिवाला और रायसी-शाहपुर सड़क मार्ग के पुनर्निर्माण एवं सुधारीकरण का कार्य स्वीकृत किया गया था। मार्ग निर्माण के दौरान तत्कालीन अधिशासी अभियंता और तत्कालीन सहायक अभियंता पर अनियमितता के आरोप लगे थे। अगस्त 2016 में दोनों अधिकारियों को प्रथम दृष्ट्या दोषी पाते हुए इन्हें आरोप पत्र जारी करते हुए नए जांच अधिकारी नियुक्त किए गए। मई 2018 में यह जांच पूरी हुई और जांच अधिकारी ने दोनों के जवाब और दस्तावेजों के आधार पर आरोप सिद्ध न होने की बात कही। इस पर शासन ने एक अलग जांच समिति का गठन किया। समिति ने अधिकारियों के बयान और अपनी जांच में पाया कि निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप नहीं किए गए हैं। यहां तक की निर्माण कार्यो के दरों का नियमानुसार सही तरीके से पुनरीक्षण न कर गलत दरें निर्धारित की गई। इससे सरकार को 178.36 लाख रुपये की हानि हुई। शासन ने समस्त तथ्यों का परीक्षण कर दोनों को दोषी पाया। इस मसले पर अपने दायित्व का सही प्रकार से निर्वहन न करने और सरकार को हुई वित्तीय हानि को देखते हुए दोनों अधिकारियों की दो वेतन वृद्धि रोकी गई है। तत्कालीन अधिशासी अभियंता सुशील कुमार गुप्ता पर शासन को हुई हानि के सापेक्ष शेष 50 प्रतिशत के 15 प्रतिशत यानी 13.38 लाख का जुर्माना लगाया गया है। वहीं, तत्कालीन सहायक अभियंता श्रीकांत शर्मा पर हानि के सापेक्ष शेष 50 प्रतिशत का 35 प्रतिशत यानी 15.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही दोनों अधिकारियों के विरुद्ध चल रही अनुशासनात्मक कार्यवाही समाप्त कर दी गई है।

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