ऋषिकेश। आईकोल्ड 2024 की वार्षिक बैठक और व्यक्तियों, जल, पर्यावरण और विकास के लिए बांधों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत मंडपम, नई दिल्ली में प्रारंभ हुई। इस कार्यक्रम में जलविद्युत के विश्वभर के विशेषज्ञ टिकाऊ जल प्रबंधन, जलविद्युत और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए। देबाश्री मुखर्जी, सचिव, जल शक्ति मंत्रालय इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थी। उन्होंने कार्यक्रम के उद्घाटन पर अपने अभिभाषण में आर्थिक विकास को गति देने तथा जलवायु चुनौतियों से निपटने में जल अवसंरचना के विकास के महत्व पर जोर दिया।
आर.के. विश्नोई, इनकोल्ड के अध्यक्ष और टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने विश्व भर से आए सम्मानित जलविद्युत विशेषज्ञों की सभा को संबोधित करते हुए भारत की जलविद्युत क्षमता के विस्तार में हुई महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रगति से ही देश स्वच्छ ऊर्जा समाधानों में अग्रणी बना हुआ है। उन्होंने भारत के ऊर्जा परिवर्तन में जलविद्युत के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जब हम सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली चुनौतियों का लक्ष्य रखते हैं, तो हमें दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करने के लिए नवाचार और अनुकूलन भी करना चाहिए।
अन्य उल्लेखनीय वक्ताओं में आईकोल्ड के अध्यक्ष, एम. लिनो, आईसीआईडी के अध्यक्ष डॉ. मार्काे आर्किएरी, वापकोस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आर.के. अग्रवाल, एनएचपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आर.के.चौधरी, बीबीएमबी के अध्यक्ष, मनोज त्रिपाठी, आईकोल्ड के (एशिया) उपाध्यक्ष और एचपीईआरसी के अध्यक्ष, डी.के.शर्मा, आरईसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, वी.के.देवांगन, आईएएस, राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव, अभय कुमार, सीईए के अध्यक्ष और भारत सरकार के पदेन सचिव, घनश्याम प्रसाद शामिल थे, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और विचार-विमर्श की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उद्घाटन समारोह में प्रमुख प्रकाशनों का विमोचन किया गया और यह अगले आईकोल्ड कांग्रेस निमंत्रण के साथ संपन्न हुआ, जो 2025 में चेंग्डू, चीन में आयोजित किया जाएगा।