उत्तराखण्ड

सफेद हाथी साबित हो रहा दून में बना आइस स्केटिंग रिंक, उपाध्याय ने की CM से CBI जांच की मांग

UK Riview संवाददाता। देहरादून के रायपुर स्थित राजकीय महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स काॅलेज में प्रदेश में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित आइस स्केटिंग रिंक अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहा है। स्केटिंग रिंक के निर्माण से जुड़ी ऐजेंसी पाइन एंड पिक द्वारा निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप न किए जाने से इस रिंक का अभी तक हस्तांतरण तक नहीं हो पाया है। यह रिंग लावारिश हालत में पड़ा है। इसके रखरखाव की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विंटर गेम्स फेडरेशन आॅफ इंडिया भी पूर्व में इस स्केटिंग रिंग की बदहाली पर सवाले उठा चुका है। जय उत्तराखंड के अध्यक्ष सचिन उपाध्याय ने इस रिंक के निर्माण कार्यों में हुई अनियमितताओं और धांधली की शिकायत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है। देहरादून में स्पोट्र्स काॅलेज परिसर में करोड़ों रुपये की लागत से इस आइस स्केटिंग रिंग का निर्माण किया गया था। इस स्केटिंग रिंग में वर्ष 2010 में सैफ विंटर गेम्स का आयोजन भी किया गया था। इसके बाद भी इस रिंग में अन्य आयोजन किए गए लेकिन हैरत की बात यह है कि स्केटिंग रिंग के निर्माण से जुड़ी ऐजेंसी पाइन एंड पिक से अभी तक इस रिंग का हस्तांरण खेल विभाग को नहीं किया जा सका है। रखरखाव के अभाव में यह स्केटिंग रिंग बलहाल होता जा रहा है। सरकार इसके रखरखाव में नाकाम साबित हो रही है। इस आइस रिंग में निर्माण कार्य अभी भी अधूरे पड़े हुए हैं। कंसलटेंट की एनओसी के बगैर निर्माण कार्य करने वाली कंपनी को पेमेंट कर दिया गया। इस आइस स्केटिंग के निर्माण में तमाम अनियमितताओं की शिकायतें होती रही हैं। बताया जा रहा है कि इसमें खूब कमीशनबाजी हुई है। जनवरी 2010 में सैफ विंटर गेम्स के समापन अवसर पर खेल विभाग ने घोषणा की थी कि आने वाले दिनों में पूरे साल यहां इवेंट आयोजित किए जाने को लेकर व्यापक योजनाएं बनाई गई हैं। लेकिन सालभर इवेंट आयोजन तो दूर अभी तक खेल विभाग इसे अपने कब्जे में भी नहीं ले सका। खाली पड़े इस रिंग में करोड़ों की लागत से लगी मशीनें जंक खा रही हैं। अभी तक इसके भविष्य को लेकर निर्णय नहीं लिया जा सका है। अभी तक यह भी तय नहीं हो पाया कि इस रिंक का मालिक कौन होगा। कंपनी पर आइस स्केटिंग रिंक के निर्माण कार्य में अनियमितताओं के आरोपों के बावजूद सरकार द्वारा इस कंपनी को रोप वे का कार्य भी दे दिया गया। राज्य के खेल मंत्री इस रिंक को मकबरे की संज्ञा दे चुके हैं। जय उत्तराखंड के अध्यक्ष सचिन उपाध्याय ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है। सचिन उपाध्याय का आरोप है कि नौकरशाहों व राजनेताओं की मीलिभगत से किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए इस रिंग के निर्माण में सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया गया है। यह आइस स्केटिंग रिंक प्रदेश में खेलों की बेहतरी के दिन देखने की आशा करने वालों की उम्मीदों को टूटने का एक पुख्ता प्रमाण है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये के घोटाले की पृष्ठभूमि पर उगाए गए इस आइस स्केटिंग रिंक का वटवृक्ष की कहानी भी कोई दिलचस्प नहीं है। राज्य बनने के बाद अचानक मुकेश जोशी नाम का व्यक्ति राज्य में पाइन एंड पीक डेवलपर्स लिमिटेड कार्यालय के नाम से कंपनी खड़ी करता है जिसका पंजीकृत कार्यालय डब्ल्यू-5 ग्रीन पार्क नई दिल्ली और काॅरपोरेट कार्यालय बी-55 सेक्टर 65 नोयडा उत्तर प्रदेश के नाम दर्ज किया जाता है। कंपनी का मुख्य कार्य उत्तराखंड में अवस्थापना विकास के काम पर अपना मुख्य ध्येय बताया जाता है, लेकिन हकीकत में कंपनी के कर्ताधर्ता का मुख्य कार्य राज्य में बाहरी लोगों के लिए भूमि के कारोबार में निवेश के लिए मार्ग प्रशस्त करना ही रहा है। श्री उपाध्याय का कहना है कि राज्य में पहली बार दक्षिण ऐशियाई शीतकालीन खेलों का आयोजन होने का बड़ा अवसर राज्य को मिला। इसके लिए देहरादून के रायपुर स्थित महाराणा स्पोट्र्स कालेज में आइस स्केटिंग रिंक बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके लिए करोड़ों रुपये जो कि भारत सरकार के द्वारा उत्तराखंड को खेलो के आयोजन को दिए गए थे। भारी-भरकम धनराशि से आइस स्केटिंग रिंक का निर्माण का ठेका इसी पाइन एंड पीक डेवलफर्स लिमिटेड को दिया गया। हैरानी की बात यह है कि करोड़ों के इस निर्माण के लिए महज एक ही टेंडर सरकार को प्राप्त हुआ, जबकि नियमानुसार कम से कम तीन टेंडर होने चाहिए थे। आखिरकार वही हुआ जिसकी उम्मीद थी। मिलभगत के चलते इस आइस स्केटिंग रिंक का ठेका मुकेश जोशी को दे दिया गया, जबकि इसी पाइन एंड पीक डेवलपर्स को इसक तरह के काम का न कोई अनुभव था और नहीं उसने कभी इतने बड़े काम को अंजाम दिया था। इसके बावजूद सैफ विंटर खेलों के आयोजन के लिए मनमाफिक तरीके से ठेका दे दिया। उपाध्याय का कहना है कि करोड़ों खर्च करने के बावजूद तय समय पर न आइस स्केटिंग रिंक का निर्माण हो पाया और न ही इसके लिए जरूरी अवस्थापनाओं का निर्माण किया जा सका। जय उत्तराखंड के अध्यक्ष सचिन उपाध्याय ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।  

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