देहरादूनकरौदा में गुरू पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया इस अवसर पर बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर मंत्रमुग्ध किया गया।कार्यक्रम का शुभारं
भ मुख्य अतिथि चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य िशव प्रसाद मंमगाई ने दीप प्रज्जवालित कर किया। मुख्य अतिथि श्री मंमगाई ने कहा कि गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांयण, बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय दोहा तो आपने सुना ही होगा जिसमें गुरु को भगवान से भी ज्यादा महत्व दिया गया है– माना जाता है कि गुरु की ही कृपा से इंसान परमेश्वर के स्वरूप को पहचान पाया था, गुरु पूर्णिमा का दिन उसी गुरु को सम्मान देने और उसकी वंदना करने का दिन माना जाता हैण् कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा पर जो भी शिष्य अपने गुरु की वंदना और सत्कार करता है उसे जीवन की हर दिशा में सफलता और सम्मान मिलता है ऐसा इसलिए क्योंकि गुरू की कृपा सर्वोपरि होती है उन्होंने कहा कि अनादिकाल से ही भारत में गुरूकुल चली आ रही है। स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को संस्कृति से जोड़े रखने के लिए बधाई दी । उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर स्कूलों में संस्कृत शिक्षा को अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग करेंगें। कार्यक्रम के वि अतिथि कथा वाचक श्री नरेषानंद नाटियाल ने कहा कि स्कूलों में छात्र छात्राओं द्वारा संस्कृति से प्ररित कार्यक्रमों का आयोजन होता रहना चाहिए। सिल्वर वैल एकेडमी के प्रबंधक श्री प्रमोद कपरूवाण शास्त्री ने कार्यक्रम को संबाधित करते हुए कहा कि उनका उदेृष्य छात्र छात्राओं को किताबी ज्ञान के साथ साथ चरित्र निर्माण करना भी है उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक चेतना के संभव नहीं है। इस अवसर पर स्कूल की प्रधाचार्य मीना रतूडी, हर्रावाला के पूर्व बीडीसी मेंबर,सीमा रावत, अंजना कपरूवाण, सुनील भदोला कपील खडूरी ,अषोक बिडला आदि मौजूद रहे।