उत्तराखण्ड

जबरन रिटायरमेंट देने के फैसले पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई

देहरादून। (UKReview) कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने राजकीय कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट देने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्य सरकार को सर्वप्रथम अपने सुस्त कैबिनेट मंत्रियों, कामचोर दर्जा राज्य मन्त्रियों एवं बिगड़ैल विधायकों को रिटायरमेंट देना चाहिए। उसके बाद सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने पर विचार करना चाहिए। गौरतलब है कि राज्य के मुख्य सचिव ने सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकरियों एवं विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके निष्क्रिय सरकारी कर्मचारियों के अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर फरमान जारी किया था। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों से राज्य में सरकारी विभागों में नियुक्ति नही हो रही है जबकि प्रदेश के विभिन्न विभागों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले 2 वर्षों में विधायकों, मंत्रियों, एवं दर्जा राज्यमंत्रियों के वेतन में तो बेतहाशा बृद्धि की है किन्तु जब छोटे कर्मचारियों के वेतन वृद्धि की बात आती है तो सरकार वित्तीय संकट का रोना रोती है साथ ही उन्होंने कहा कि उपनल कर्मचारी लंबे समय से वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं और 108 एवं खुशियों की सवारी के कर्मचारियों को दस वर्षों की सेवा देने के बाद हटा दिया गया है  साथ ही कई अन्य विभागों से भी कर्मियों को हटाया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश को ठेकेदारों के हाथों बंधक बना दिया है अधिकांश सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग एजेंसी उपनल एवं पीआरडी को बंद कर ठेकेदारी प्रथा आरम्भ कर दी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पहले ठेकेदार निर्माण कार्यों में टेंडर प्रक्रिया में भाग लेकर निर्माण कार्यों का टेंडर लेता था और फिर मजदूरों से निर्माण कार्य करवाता था निर्माण कार्य मे अधिकांश मजदूर अशिक्षित होते हैं। किंतु वर्तमान में प्रदेश के भीतर पढ़े लिखे उच्च शिक्षित बेरोजगार नोजवानों को महज 7-8 हजार के मामूली वेतन पर ठेकेदारों के माध्यम से सरकारी विभागों में काम करना पड़ रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के शहीदों का अपमान बताया उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण से पहले राज्य वासियों ने जो सपने सजाए थे वे सब चकनाचूर हो गए हैं। 

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