उत्तराखण्ड

हिमालयन कॉन्क्लेव: हिमालयी राज्यों की केंद्र सरकार से ग्रीन बोनस की मांग

मसूरी(UK Review) विकास के मामले में एक जैसी समस्याओं का सामना कर रहे देश के 10 हिमालयी राज्य पहली बार आज मसूरी में विभिन्न मुद्दों पर मंथन करने के लिए जुटे। हिमालयी हितों को लेकर गहन मंथन के बाद तैयार किए गए कॉमन एजेंडा को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपा गया। इसमें पर्वतीय राज्यों द्वारा हिमालय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और देश की समृद्धि में योगदान का संकल्प लिया गया। साथ ही, प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण का भी प्रण लिया गया। भावी पीढ़ी के लिए लोककला, हस्तकला, संस्कृति आदि का संरक्षण किया जाएगा। पर्वतीय संस्कृति की आध्यात्मिक परम्परा के संरक्षण व मानवता के लिए कार्य करने का संकल्प लिया गया। समानता व न्याय की भावना के साथ पर्वतीय क्षेत्रों के सतत विकास की रणनीति पर काम किया जाएगा। पर्वतीय सभ्यताओं के महान इतिहास व विरासत के संरक्षण का संकल्प लिया गया। इससे पूर्व हिमालयन कॉन्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने हिमालयन राज्यों के सम्मेलन के आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित रूप से यह आयोजन हिमालयी राज्यो के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि लम्बे समय से इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही थी। हिमालयन राज्य भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन सभी राज्यों का विकास भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इसमें पंचायतीराज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा कर ही पलायन को रोका जा सकता है। सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग देश की सुरक्षा में आंख और कान का काम करते हैं। इससे सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी। हमे विकास के साथ ही पर्यावरणीय सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा। पर्वतीय राज्यों में ऑर्गेनिक कृषि पर फोकस किया जाना चाहिए। इसमें स्थानीय युवाओं को जोड़े जाने की जरूरत है। पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं के लिए स्टार्ट-अप महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इससे पलायन तो रुकेगा ही साथ ही क्षेत्र भी आर्थिक रूप से विकसित होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कॉन्क्लेव में आए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें गर्व है कि देश की सीमाओं की चौकसी की जिम्मेदारी मिली है। हिमालय राज्यों के सम्मेलन की मेजबानी का अवसर प्राप्त हुआ है यह उत्तराखण्ड के लिए सम्मान की बात है। हिमालय राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां समान हैं। मुझे आशा है कि देश की समृद्धि में योगदान करने के लिए यह एक अच्छा मंच साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जल की एक-एक बूंद बचाने के संकल्प में हिमालयी राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम सभी को मिलकर जल संचय एवं जल संरक्षण के लिए काम करना होगा। नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए केन्द्रीय स्तर पर अलग से बजटीय प्रावधान किया जाना चाहिए। इको सिस्टम सर्विसिज के लिए हिमालयी राज्यों को और प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2025 तक आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिमालयी राज्यों में वैलनेस व टूरिज्म पर काम करना होगा। आपदा, पलायन सभी हिमालयी राज्यों की एक समान समस्या है। हम सभी को मिलकर देश की प्रगति के लिए काम करना है।

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