देहरादून, (UK Review)। उत्तराखंड में गुजरे 24 घंटों के अंतराल में बादल फटने, नदी नालों के उफान और भूस्खलन की घटनाओं में जानमाल का नुकसान हुआ है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 15 लोग नालों के उफान और मलबे के साथ बह गए, जबकि एक ही परिवार के आठ सदस्य मकान के मलबे में जिंदा दफन हो गए। उफान में बहे मलबे में दबे लोगों में से दो महिलाओं, एक पुरुष और एक बच्ची का शव बरामद कर लिया गया, अन्य 19 अभी लापता हैं। उनकी खोजबीन जा रही है। वहीं, मौसम विभाग के भारी बारिश के अलर्ट के बाद 11 जिलों के जिलाधिकारियों ने सोमवार को सभी शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया है।उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के आराकोट क्षेत्र के गांवों में सबसे ज्यादा कहर बरपा। यहां बादल फटने के बाद उफान पर आए बरसाती नालों ने तबाही मचाई। भारी मात्रा में पानी और मलबा आसपास के गांवों तक आ पहुंचा। 50 से ज्यादा मकान और इतने ही दुकानें मलबे में दब गईं। इन गांवों में पांच बच्चों समेत 21 लोग मलबे की चपेट में आ गए। नालों के उफान का पानी समाने के बाद उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर बहने वाली पावर नदी ने भी रौद्ररूप ले लिया। इसकी लहरें त्यूणी बाजार तक पहुंचने के मद्देनजर यहां सौ से ज्यादा दुकानों को खाली करा दिया गया है।प्रभावित इलाकों में संचार नेटवर्क ध्वस्त हो रखा है, बारिश से रेस्क्यू में भी बाधा पहुंच रही है। आराकोट में 12 घंटे बाद तक भी रेस्क्यू टीमें नहीं पहुंच पाई थी। अल्मोड़ा जिले के सीमावर्ती इलाके में रामनगर से गैरसैंण जा रही एक यात्री बस बरसाती नाले के उफान में बह गई, उसमें 30 लोग सवार थे, चालक का अभी तक कुछ पता नहीं चला है। देहरादून के मालदेवता इलाके में पिकनिक मनाने गया परिवार के सात सदस्य वाहन समेत नदी में बह गए। इनमें से छह को एसडीआरएफ ने बचा लिया, जबकि एक महिला की मौत हो गई। टिहरी में चारा लेने गई महिला पर पेड़ गिर गया, उसकी मौके पर मौत हो गई। बारिश और भूस्खलन से राज्यभर में काफी संख्या में पैदल रास्ते, पैदल पुलिया, संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए। हाईवे और चारधाम यात्रा पर भी मौसम ने असर डाला है। राजमार्गों पर एक से डेढ़ हजार लोगों के फंसे होने का अनुमान है। इन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के प्रयास चल रहे हैं। रास्ते बंद होने के कारण धामों में भी कुछ तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। प्रदेश में 162 से ज्यादा संपर्क मार्ग अवरुद्ध हैं।
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