देहरादून। इंस्टीट्यूट ले रोजे, समान्यतया ली रोजी या रोजी नाम से जाना जाने वाला स्विट्जरलैंड में स्थित विश्व का सबसे प्राचीन बोर्डिंग स्कूल इन दिनों एक शर्मनाक परिस्थिति का सामना कर रहा ह। स्कूल भारतीय विद्यार्थियों के खिलाफ हो रही नस्लभेदीय टिप्पणियों और धौंस भरी धमकियों को रोकने में न सिर्फ असमर्थ रहा है बल्कि उसका रवैया भी असंवेदनशील है। $115,000 (मूल फीस और अन्य खर्चों सहित) प्रति वर्ष की वार्षिक ट्यूशन फीस के साथ विश्व के सबसे महंगे प्राइवेट स्कूल का खिताब इंस्टीट्यूट ली रोजीको जाता है! मगर, हाल ही में भारत के एक प्रख्यात परिवार की छात्रा के साथ उसके सहपाठियों और लापरवाह संकाय सदस्यों के द्वारा हुए कठोर मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न ने अत्यधिक फीस वसूलने वाले स्कूल की छवि और विश्वसनीयता पर एक दाग लगाया है। संभ्रांतवादी कहा जाने वाला यह स्कूल किशोर छात्रा के उत्पीड़न को रोकने में असमर्थ रहा जिस कारण उसे संगीन साइबर उत्पीड़न और हमलों का शिकार होना पड़ा।
यह मामला सभी अभिभावकों के लिए आँखें खोलने वाली घटना है वो अपने कठिन परिश्रम से अर्जित पैसा देकर अपने बच्चों को इतनी दूर इन तथाकथित प्रतिष्ठित स्कूलों में भेजते हैं और वहाँ ऐसी घटनाएँ होने पर मन में प्रश्न उठता है ‘क्या ये बड़े नाम सच में इस लायक हैं’? भारतीय मूल की छात्रा के अभिभावक राधिका और पंकज ओसवाल ठीक ऐसा ही महसूस कर रहे हैंद्य एक जिम्मेदार अभिभावक होने के नाते उन्होंने भी अपने बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के सपने सँजोये थे और उसे ली रोजीजैसे संभ्रांत स्कूल में भेजा थाद्य उन्हें उम्मीद थी कि वहाँ उसे न सिर्फ विश्व-स्तरीय शिक्षा बल्कि एक उत्कृष्ट पैस्टोरल केयर भी प्राप्त होगीद्य मगर अब वह कहते हैं, “ यह साफ हो चुका है कि स्कूल का स्तर पिछले कुछ वर्षों में काफी नीचे चला गया है, यह तेजी से अमीर परिवार के बच्चों का प्लेग्राउंड बनता जा रहा है जहां वो अपनी मर्जी से कुछ भी करने को मुक्त हैं!” इस घटना के बारे में बात करते हुए पीड़ित छात्रा की माँ राधिका ओसवाल ने कहा, “हम संस्थान में अपनी बच्ची के साथ हुए व्यवहार से हताश और चकित हैंद्य संकाय सदस्य भी अपने ही आचार संहिता के पालन में बुरी तरह से असफल हुए हैंद्य जाहिर तौर पर ‘आदर’ और ‘शारीरिक समग्रता’ के जिस मूल्य की संस्थान बात कर रहा है तथा छात्रों की ‘धार्मिक, दार्शनिक और राजनैतिक प्रतिबद्धता’ से संबंधित बातें मार्केटिंग व्हाइटवाश के अलावा कुछ भी नहीं है। अपने बच्चे के खिलाफ लगातार बढ़ते दुर्व्यवहार के मामलों के बाद अभिभावकों ने स्कूल को अपनी चिंताओं से अवगत करवाया और अपने बच्चे कि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने कि बात कहीद्य स्कूल के सीनियर प्रबंधन ने इन आरोपों को ना तो स्वीकार किया और न ही कोई कदम उठाने की मंशा जताई। इस दौरान बदमाशियां बढ़ती गयी और साइबर दुव्र्यवहार भी शुरू हो गया।
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