-दस सालों में 18830 लोगों ने किया टिहरी से पूर्ण रूप में पलायन
– बिजली,पानी,शिक्षा,स्वस्थ्य का अभाव रहा बड़ा कारण
चन्द्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून।उतराखण्ड अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से वर्तमान तक इन उन्नीस सालो में सरकार और सरकारी दावों की पोल खुद सरकार द्वारा गठित पलायन आयोग की 100 पेज की रिपोर्ट ने खोलकर रख दी है। एक रोज पूर्व उतराखण्ड पलायन आयोग ने टिहरी गढ़वाल से संबंधित अपनी तीसरी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।पलायन आयोग की रिपोर्ट की माने तो सड़क,बिजली,पानी,स्वास्थ्य,शिक्षा के अभाव में बड़ी संख्या में पलायन हुआ है।रिपोर्ट मे बताया गया कि 26 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के 40 प्रतिशत लोगो ने अकेले टिहरी जनपद से पलायन किया। पिछले दस सालों में जनपद के 585 ग्राम पंचायतों से 18830 व्यक्तियों ने पूर्ण रूप से पलायन किया जबकि 938 ग्राम पंचायतों के 71509 लोगो ने अस्थाई रूप से पलायन किया। सबसे ज्यादा आजीविका के लिए 52 प्रतिशत,चिकित्सा के लिए,7 प्रतिशत, शिक्षा के लिए 3.87 प्रतिशत लोगो ने पलायन किया। हालांकि कोरोना महामारी के कारण रिवर्ष मग्रेशन भी बड़ी तादात में हुआ है। आयोग ने सामाजिक आर्थिक, विष्लेषण के साथ ही पलायन रोकने के लिए भी सिफारिशें की है।
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स्थाई पलायन ब्लॉक बार स्थिति
राज्य के 42 प्रतिशत युवाओ ने इन दस सालों में पलायन किया
ऐसा नही की राज्य निर्माण से पहले पलायन नही हुआ लेकिन राज्य बनने के बाद पलायन की मार पहाड़ी राज्य उतराखण्ड में बड़ी तेजी से आई।पूरे राज्य की बात करे तो 25 से 35 साल की उम्र के 42.25 प्रतिशत युवा गांवो से पलायन कर गए।वही अकेले टिहरी जनपद से ही 28.90 प्रतिशत लोगो ने राज्य से बाहर व 40.78 प्रतिशत व्यक्तियों द्वारा राज्य के अंदर ही एक जगह से दूसरी जगह पलायन किया।
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टिहरी में 58 निर्जन गांव
19 सालों में सरकारों के विकास के दावे तब फुस्स हो जाते है जब आंकड़े सामने हो ,टिहरी जनपद पर पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि दो हजार ग्यारह से अब तक 58 गांव अकेले टिहरी में निर्जन हो गए। जनपद का हर ब्लाक इसकी चपेट में आया। ब्लाक भिलंगना में 4,चम्बा में 14,देवप्रयाग 10,जाखणीधार 1,जौनपुर 12,कीर्तिनगर 2,नरेंद्र नगर 3,थौलधार 12 गांव भूतिया हो गए।यह रिपोर्ट भले ही सरकारी सिस्टम ने ही बनाई है,सुझाव के साथ पलायन को रोकने के लिए कई सिफारिशें की गई है,लेकिन इसके आने के बाद उन्नीस सालो में किस तरीके से विकास हुआ उसकी कलई भी खुल रही है, जो कि चिंता का विषय है।जबकि अल्मोड़ा,पिथौरागढ़ के बाद अब टिहरी जनपद की भी रिपोर्ट आ चुकी है। कमोबेस पलायन होने के पीछे की समस्या एक जैसी है।
अब देखना होगा कि त्रिबेन्द्र सरकार पलायन रोकने के लिए, गांवो तक मूलभूत सुविधाएं पहुचाने के लिए, क्या कदम उठाती है।