देहरादून। वर्ष 2020 शिक्षा क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी रहा है। 34 वर्षों के अंतराल के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की शुरुआत हुई। यहां तक कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर के शिक्षकों और छात्रों के लिए काफी अनिश्चितता पैदा कर दी, जिससे दुनिया भर में ऑनलाइन पढाई में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई और इसे स्वीकृति प्रदान की गई।
भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा नीति को बदलने के रोडमैप के रूप में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की घोषणा वर्ष का मुख्य आकर्षण था। नई नीति हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली की कमियों से प्रभावी ढंग से निपटती है और एक बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है। इस नीति के कई पहलुओं में एक प्रमुख पहलू शिक्षा और प्रौद्योगिकी का परस्पर संबंध है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने खुद को एक सूचना से भरपूर समाज में बदल दिया है और कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। लॉकडाउन के कारण, इस वर्ष ई-लर्निंग, और ब्रॉडकास्टिंग क्लासेस की शुरुआत हुई, जिसने भौगोलिक दूरियों के बावजूद शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के तौर तरीकों को तेजी से सक्षम बनाया, महानगरों और टियर 2-3 शहरों के बीच डिजिटल विभाजन को कम किया। डिजिटल साक्षरता में वृद्धि और स्मार्टफोन पैठ का विस्तार होने के साथ, ऑनलाइन पढाई का शिक्षा के लिए एक लोकप्रिय कार्यप्रणाली के रूप में उभरना जारी है।
चूंकि इस शैक्षणिक वर्ष में विद्यालयों में वापस पूरी तरह से पढाई की संभावना नहीं दिखती है, इसलिए विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों के लिए निर्देश के माध्यम के रूप में ऑनलाइन को बढावा देना जारी रहेगा। 2021 में पढाई का हाइब्रिड मॉडल आदर्श बन जाएगा, ऑनलाइन और कक्षा में पढाई का समन्वय होगा। हालांकि कोविड-19 का टीका लगने के बाद स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को बड़े पैमाने पर खोला जा सकता है, लेकिन ऑनलाइन पढाई का अनुभव कई लोगों को हाइब्रिड पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित करेगा और छात्र सप्ताह में 3 दिन संस्थान आयेंगे और शेष 3 दिन ऑनलाइन अध्ययन करेंगे।