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हाथियों को बचाने के लिए महावतों के बाहर निकलने पर रोक

रामनगर। कोरोना महामारी को लेकर उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व  में सतर्कता बरती जा रही है। कोरोना इंसानों के साथ ही जानवरों को भी संक्रमित कर रहा है। इसके बाद से ही कॉर्बेट में 16 पालतू हाथी और 2 स्निफर डॉग को इससे दूर रखने के लिए जरूरी प्रयास शुरू किए गए हैं। इसके तहत महावतों के रिजर्व से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है।
दरअसल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की सुरक्षा और रेस्क्यू में हाथियों का अहम रोल रहता है। यह हाथी जहां सुरक्षा के लिए गश्त में अपना विशेष योगदान देते हैं। वहीं कई जगहों पर रेस्क्यू के लिए भी यह वन अधिकारियों और वनकर्मियों की पहली पसंद होते हैं। कॉर्बेट में पहले 6 हाथी थे। जिनमें से 3 हाथी अपनी सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच गए थे। इसके बाद यहां हाथियों की कमी होना स्वाभाविक था। उत्तराखंड सरकार ने कर्नाटक सरकार से यहां गश्त के लिए हाथी देने का अनुरोध किया। इस अनुरोध के बाद यहां 9 हाथी भेजे गए। इसके बाद यहां कुल हाथियों की संख्या 15 हो गई। लेकिन 2018 में 3 हथिनियों को सेवानिवृत्त भी कर दिया गया। बताया गया कि पवनपरी, सोनकली और लक्ष्मा अपनी 60 साल की आयु पूरी कर चुकी हैं। इसलिए कॉर्बेट प्रशासन अब इन्हें बिना काम के ही पालेगा। इसके बाद कॉर्बेट में हाथियों की संख्या 12 रह गयी। लेकिन इसी दौरान कर्नाटक से आई हथिनी कंचम्भा ने एक बच्चे सावन को जन्म दिया। जिसके बाद यहां रिटायर हुई 3 हथनियों समेत इनकी संख्या 16 हो गई। अब ऐसे में इस महामारी से इन्हें बचाये रखने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने कुछ सख्त कदम उठाये हैं।कॉर्बेट के निदेशक राहुल ने बताया कि ये हाथी टाइगर रिजर्व में कई जगहों पर तैनात किए गए हैं, जिससे कि सभी स्थानों पर गश्त के लिए इनकी उपलब्धता बनी रहे। उन्होंने बताया कि इस दौरान इनके संपर्क में रहने वाले महावतों को टाइगर रिजर्व से बाहर जाने पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही सभी हाथियों का कॉर्बेट के वेटनरी डॉक्टर दुष्यंत शर्मा द्वारा समय-समय पर चेकअप किया जाता है। फिर भी यदि इनमें से किसी को कोई प्रॉब्लम आती है, तो उसके लिए कालागढ़ में एक क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। जहां इन्हें रखा जाएगा. ऐसे ही स्निफर डॉग्स के लिए भी झिरना में इंतजाम किए गए हैं।

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