उत्तराखण्ड

मूल/स्थायी निवास की अनिवार्यता थोपी सरकारी योजनाओं में

देहरादून। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय से लेकर सूचना आयोग तक अनेक मामलों में असंवैधानिक शर्तों के विरूद्ध कठोर निर्णय पारित कर चुके हैं परन्तु राज्य के कुछ सरकारी कार्यालय अवैधानिक शर्त थोपने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही एक ताज़ा मामला जिला पर्यटन विकास अधिकारी उत्तरकाशी का सामने आया है जिसमें स्वरोजगार योजना के तहत पात्रता के लिये मूल/स्थाई निवासी बेरोजगार होने की शर्त थोप दी गई है।
दैनिक जागरण देहरादून के 20 मार्च 2018 के अंक में प्रेस विज्ञापन प्रकाशित कराई गई जिसमें बस/टैक्सी परिवहन सुविधाओं के विकास, मोटर गैराज/वर्कशाप का निर्माण, फास्टफूड सेन्टर सहित 10 अवयवों के लिये वीर चंद सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के लिये आवेदन आमंत्रित किये गये हैं जिसमें पात्रता के लिये उल्लेेख किया गया है कि ‘‘उत्तराखण्ड का मूल/स्थाई निवासी जो बेरोजगार हो’’।
विज्ञापन जारी करने वाले भगवती प्रसाद टमटा को यह जानकारी होना चाहिए था कि प्रत्येक सरकारी योजना का लाभ राज्य में रहने वाले सभी श्रेणी/वर्गों के नागरिकों को मिलता है न कि केवल मूल/स्थाई निवासियों को। इस अवैधानिक शर्त से सम्बन्धित शासनादेश/विभागीय आदेश की छायाप्रति सूचना-अधिकार के तहत मांगी गई है।

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